जासूसी दुनिया अंक 309- रोशनी
की उड़ान [लेखक- इब्ने सफ़ी बी.ए.]
सप्ताहांत की शुरुआत हो चुकी है.
पिछले हफ्ते कई कारणों से कोई भी किताब नहीं पढ़ पाया था, इसलिए इस हफ्ते पहले से ही विचार कर लिया था
कि कम से कम दो किताबें पढ़नी ही हैं. इसीलिए अपने इस प्रायोजन की पूर्ति के लिए मैं
आज कार्यालय से आने के बाद सबसे पहले लग गया एक किताब पढ़ने. कोई तय नहीं था की कौन
से लेखक को पढ़ना है, परंतु जैसे ही मैंने आज एक किताब पढ़ने का
विचार किया अतएव ही सबसे पहले मश्तिष्क में नाम उभरा सर्वप्रिय लेखक इब्ने सफ़ी बी.ए. का. तो मैंने उठाई जासूसी दुनिया का 309वां अंक ‘रोशनी
की उड़ान’ और पढ़ गया एक ही बैठक में.
सर्वप्रथम जब से यह चर्चा सामने
आई है कि शायद जासूसी दुनिया में इब्ने सफ़ी जी के नाम से प्रकाशित कुछ नॉवेल उन्होने
नहीं छद्म लेखकों ने लिखे थे, तब से हमेशा
उसे पढ़ते वक्त मन में एक शंका बनी रहती है कि क्या इसे सफ़ी जी ने लिखा है या किसी छद्म
लेखक ने. बहरहाल किसी ने भी लिखा हो, इस किताब ने मेरा सरहनीय
मनोरंजन किया.
कहानी की शुरुवात होती ही एक रहस्यमयी
महिला मिसेज मालिक से [जो की अपने अजीबो गरीब आचरण से इस उपन्यास में एक विशेष स्थान
प्राप्त करती हैं], जिनके फ्लैट में
एक दिन दो लोग किसी शख्स के बारे मैं पूछ ताछ करने आते हैं, इसमे
वो उन्हे धमकी तथा प्रताड़ित करने का प्रयास करते हैं मगर मिसेज मालिक एक अंजान शख्स
जिसका नाम वह ढंप बताता है की मदद से उन अराजक लोगों से बच जाती हैं. इधर राजेश सर
शंभू दयाल की आज्ञा से एक विदेशी जासूस मिस्टर ब्राउन [जिसके बारे में उसे अधिक जानकारी
नहीं है] की मदद एक अंजान आदमी को खोजने में कर रहा है, जिसके
बारे मैं उसे कुछ भी नहीं मालूम. इस खोज में राजेश को एक रहस्यमयी हवेली का पता चलता
है तो की खाली ही महसूस होती है परंतु उसे यह आभास होता है कि इस हवेली का संबंध इन
सब मामलों से जुड़ा हुआ है. इसी बीच दो विदेशी तथा अंजान गुटों में टकराव होता है जीने
पीछे राजेश लग जाता है.
नवेल का लेखन सराहनीय है, तथा कहानी पेज दर पेज नए गुत्थी से हमारा सामना
कराती है. जैसे जैसे हम आगे बढ़ते हैं हमें यह भी ज्ञात होता है कि जो कहानी एक रहस्यमय
शख्स की तलाश से शुरू होती है उसका संबंध कुछ देशों के राजनयिक मसलों से जुड़ा हुआ है
तथा जिसका असर भारत वर्ष की सुरक्षा पर भी पद सकता है. इसी दौरान कहानी में राजेश के
सदृश्य [उसी के समान दिखने वाले] का भी अवतरण होता है जो की अपने कार्यों से राजेश
को भी संकट में डालने का प्रयास करता है. कथानक में कई बार ऐसी घटनाएँ होती हैं जो
राजेश के साथ साथ श्री शंभू तथा राजेश की सहयोगी मेरिया को भी कई बार संकट मे डालती
हैं. वैसे इस नॉवेल में हमारा सामना एक किसी धातु के बने अजीब रोशनी छोड़ने वाले हथियार
से भी होगा, तथा हमेशा की तरह राजेश अपनी अजीबो गरीब हरकतों से
हमारा मनोरंजन तो करेगा ही.
कौन था वह रहस्यमयी शख्स जिसकी
तलाश राजेश को थी? क्या कोई इतना
विशेष हो सकता है कि उसके कारण कई देशों के राजनयिक सम्बन्धों पर असर पड़ सके? कौन थी मिसेज मालिक? राजेश क्या इन सब गुत्थियों को
सुलझा पाया? यह सब पढ़ कर आनंद आया.
वैसे एक बात कहूँगा, कई बार जासूसी दुनिया ने सफ़ी जी की नॉवेल को
ऐसे नाम दिये हैं जिनका मूल कहानी से कोई लेना देना नहीं होता, कम से कम मुझे तो यह उपन्यास पढ़ कर ऐसा ही लगा.
उपन्यास मनोरंजक और सराहनीय है.
आशा करता हूँ आप सब में जिन लोगों ने इस नॉवेल को पढ़ा है वो भी अपने विचार हम सब से
साझा करेंगे.
वैसे एक निवेदन यह भी है कि यदि
किसी के पास इसका कवर पेज अच्छी क्वालिटी में उपलब्ध हो तो कृपया करके मुझे स्कैन करके
प्रदान करने की कृपा करें, मैं उनका आभारी
रहूँगा. मेरे पास उपलब्ध किताब के कवर की हालत जरा नाजुक है.
लेखन में कोई त्रुटि हो तो उसके
लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.
Details about the book-
Name- Roshni Ki Udan
Publisher- Nakhat Publication, Allahabad
Series- Jasoosi Duniya
Issue no.- 309
Writer- Ibne Safi B.A [Original- Urdu], Prem Prakash [Translator- Hindi]
Book language- Hindi
My rating: 4/5
1 comment:
अच्छी जानकारी दी, धन्यवाद।
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